इक्क कुड़ी मूवी रिव्यू
कलाकार : शहनाज़ गिल, निकिता ग्रोवर, गुरजैज़, उदयबीर संधू, गुरदेव धालीवाल, हार्बी सांघा, जस ढिल्लों, नेहा दयाल, निर्मल ऋषि और सुखविंदर चहल.
निर्माता : कौशल जोशी, शेहनाज गिल और अमरजीत सिंह सरोन.
निर्देशक : अमरजीत सिंह सरोन.
रेटिंग : 2.5 / 5
इक्क कुड़ी रिव्यू : एक अच्छी कहानी कहने और एक अच्छी फिल्म बनाने में बहुत फर्क होता है – इक्क कुड़ी इसका जीता-जागता उदाहरण है. फिल्म की शुरुआत एक बड़े ही दिलचस्प अंदाज से शुरू होती है और यदि इसी अंदाज और रफ्तार से आगे बढ़ती चलती तो फिल्म सुपरहिट होती. लेकिन फिल्म इंटरवल से पहले ही दम तोड़ती नजर आती है, जिसका मुख्य कारण है फिल्म की गति का स्लो होना.
इक कुड़ी समाज की अपेक्षाओं के आगे झुके बिना, एक महिला के अपने जीवनसाथी को चुनने के सफ़र की पड़ताल करती है. कहानी अतीत और वर्तमान के बीच घूमती है, जीवन के कुछ पलों को भावनात्मक नाटक के साथ मिलाती है. यह हल्की-फुल्की, मधुर और सहज शुरुआत करती है, जो पंजाबी घरों में पितृसत्ता और आधुनिक प्रेम को छूती है. हालाँकि, जैसे-जैसे फिल्म आगे बढ़ती है, गति धीमी होती जाती है और भावनात्मक भार ज़्यादा लगने लगता है. विचार ठोस है, दिल सही जगह पर है, लेकिन कहानी कभी-कभी फिसल जाती है. फिल्म में शहनाज़ गिल की दोहरी भूमिका निभाई है. एक तेजो और दूसरी सिमर के रूप में शानदार अभिनय करती नज़र आएगी.
संगीत कहानी में सहजता से घुल-मिल जाता है, हालाँकि कोई भी गाना बाद में आपके दिमाग में नहीं रहता. संपादन और भी कसा हुआ हो सकता था क्योंकि कुछ दृश्य ज़रूरत से ज़्यादा लंबे खिंच जाते हैं, जो बोरियत पैदा करते हैं.
अगर अभिनय की बात करें तो पूरी फिल्म में शहनाज गिल छाई रही है और उनके साथ निर्मल ऋषि का अभिनय सबसे काबिले तारीफ है. बाकी सब कलाकारों का अभिनय औसत दर्जे का रहा.
अब बात करेंगे की मूवी देखे या नही, तो ये आप पर निर्भर करता है कि यदि आप शहनाज गिल के फैन है तो आप इक्क कुड़ी जरूर दे सकते हैं. पर यदि निर्देशक ध्यान देते तो फिल्म की गति को बढ़ाया जा सकता था. जिससे फिल्म मिल का पत्थर साबित होती.
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