– फिल्म की कहानी
घने जंगल में अपने पिता और साथियों के साथ रह रहा हाथी का बच्चा अप्पू छोटा तो जरुर है लेकिन कम उम्र में ही उसने मुसीबतों का सामना करना और उन पर जीत हासिल करने की आर्ट सीख ली है सीख लिया है. कम उम्र में भी जोखिम लेना अप्पू को पसंद है. अचानक एक दिन जंगल में आई शिकारियों की टीम उसके अप्पू के पिता को पकड़ लेते हैं. अब अप्पू अपने दोस्त डोगी टाइगर के साथ अपने पापा की तलाश में निकल पकड़ता है साथ अप्पू का मकसद अपने समुदाय की रक्षा करना भी है. अप्पू को पता चलता है शिकारी गैंग उसके पापा को पकड़ कर पहाड़ के उस पार ले गए है अप्पू की यह खतरनाक तलाश जोखिम भरी है , इस तलाश में शिकारियों के गैंग के बॉस की नन्ही मिनी भी उसका साथ देती है.
आप आसानी से यकीन नहीं कर पाएंगे कि देश की पहली करीब नब्बे मिनट की 4 K एनीमेटिड फिल्म को बनाने में युवा फिल्म मेकर संजय रहेजा को एक दो नही करीब पांच साल लग गए, इस बीच कोविड संकट शामिल रहा तो हैदराबाद दिल्ली मुंबई के कुशल अनुभवी एनिमेशन स्पेशलिस्ट की करीब 350 सदस्यो की टीम लगी रही और अब जब यह छोटा सा प्यारा नन्हा हाथी अप्पू आपके सामने आया है तो इन सब की मेहनत और मेकर संजय रहेजा के जुनून को सैल्यूट तो बनता ही है.
इस शुक्रवार देश भर के करीब 200 से ज्यादा स्क्रीन में हिंदी और अंग्रेजी में रिलीज हुई अप्पू ऐसी साफ सुथरी एक बेहतरीन संदेश देती फिल्म है. यकीन मानिए फिल्म को एंजॉय करने के साथ-साथ आप पर्यावरण, वन्य जीव की रक्षा का सार्थक संदेश भी लेकर हॉल से बाहर निकलेंगे.
क्यों देखे : अप्पू सीरीज की यह पहली फिल्म जंगली जानवरों और वनों के संरक्षण का अच्छा संदेश देती है. साथ ही हम सब को हमें घने जंगलों में रहने वाले जानवरों के दर्द का एहसास भी कराती है.
रेटिंग : 3 / 5 स्टार